Tuesday 20 October 2015

रात, दिन और रंगना

रंग बदलती है हर चीज़।
दो रंग 
एक उसका और एक रात का काला 
रात आती है, काले रंग की भरी बाल्टी लिए
सब पर उड़ेल जाने को 
फिर दिन आता है
रौशनी की बारिश से काली ख़ाक हटाने को अपने रंग में ले आने को
हर रोज़ सुबह भरता है सूरज
पेड़ो में हरा
पानी में नीला
आसमान नारंगी सा रंग बदलता
और हर एक की रगों में लाल।
कैसा हो की सूरज ऊब जाये इन रंगो से
एक सुबह हो और
पेड़ नीले
आसमान हरा
पानी गुलाबी
और हर एक की रगो में दौड़े सच्चाई का सफ़ेद पानी। 

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