मयूरपंख
Saturday, 3 October 2015
पिंजरा
पिंजरे में फाँस ली गयी
आस ली गयी
के तुम आओगे और मुझे छुड़ा ले जाओगे
आओगे न ??
दूर कहीं ले जाना मुझको
जहाँ ना पिंजरे होंगे ,
ना ललचाती झूटी रोटियाँ
बस तुम होंगे।
बस में होंगी।
और हम हमसे छोटे पिंजरे बनाया करेंगे।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment