Monday 28 September 2015

शरारती कल्पना

हाथी बैठ में होली खेलु
सब भीगे में ऊँचे से देखू  
हाथ न आने पाउ में 
सब को यूँ रंग जाऊ में। 

हाथी बैठ में होली खेलु 
पिचकारी हाथी सर मेलु। 
सबके रंग हाथी तक पोहचे 
कैसे पोहचे सब ये सोचें। 

हाथी बैठ में होली खेलु 
रंगीन गुबारे हाथी पग पेलू। 
पूछ हिलाये हाथी इतराये 
मित्र सरे रंगने से कतराएं। 

हाथी बैठ में होली खेलु 
रंग सरे मर्ज़ी के लेलु 
हाथी बैठ में होली खेलु। 

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