Friday 25 September 2015

एक दिन बिन लोकल

लोकल से मतलब यंहा ट्रैन है।
मुंबई को लोकल की देन एक वरदान है। 
एक जगहे से दूसरी जगहे जाना हो,
तो अगर इसमें कामियाबी चाहिए तो बहुत जरुरी है लोकल का सहारा। 
यहाँ रोज़ लाखो लोग लोकल के यात्री होते है।
न जाने कितनी बार एक गयी तो दूसरी आ जाती है ठीक समय पर। 
लोकल का कुछ क्षणों के लिए रुकना और
हजारो की तादात का एक साथ चढ़ना उतरना आम सी बात है। 
में सोचती हूँ की कैसा हो अगर न हो लोकल इस शहर में?
एक दिन भी बंद हो जाये तो थम जाता है ये शहर
मानो ज़िन्दगी ले चलती है ये ट्रेने
जब बारिश का ज्यादा आना हो जाता है तो ट्रेनों को थमना पड़ता है।
उसी के साथ थम जाता है हर एक आम इंसान 
नही सोचा जाता ये शहर बिन लोकल एक दिन भी।  

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