Friday 25 September 2015

एक कमरा

एक कमरा
एक कमरा मिला अनजाना सा
पराये देश मै....
पहली बार लगी थी हवा अनछुई अठखेली लिए
दो दिन हो गए इस शहर में
घुमा दर बदर यहाँ
हर शाम लोटना पड़ता है, उसी अनजाने से कमरे में
पुरे शहर में धक्के खाकर अब साँस भी वही आती है
वही जिसे सोचा था, सबसे बेगाना अपना भी अब यही लगता है
हां वही एक कमरा।

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