Monday 28 September 2015

भीगी हिंदी

जब दिल में बहुत कुछ संभाल कर रख लेते है।
तो डर लगता है उससे कुछ हो ना जाये।
दिल जैसे सबसे सुन्दर कमरे में
जहाँ सब कुछ संभाल कर रख लिया जाता है
यादें , बातें , कारन, खटास और मीठी सी धड़कने तेज़ करने वाली
बातें भी फिर बस कभी बारिश न जाये
ये आंसू ना बह जाए
ऐसा हुआ तो कमरे में पानी भर जाएगा।
सब भीग जायेगा बहार आने से पहले
ठीक उसी तरह जैसे मुंबई की बारिश में
भरे पानी में भीग जाती होंगी वो कोर्ट कचहरी की फाइले
जो अब तक पोहची भी नहीं है कोर्ट तक
और मिट, धुल से जायेंगे सारे अक्षर उसी तरह
जैसे हिंदी धुल रही है अंग्रेज़ी के जमाने में
और उस भीड़ में कोई न मिलेगा ये कहने वाला
की हाँ पहचानो इससे ये हिंदी है।

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