जब कविताओ का एक पन्ना खो गया
तो याद आया की कितना मुश्किल है
अपनी ही प्रतिमाओ को याद रखना
तो याद आया की कितना मुश्किल है
अपनी ही प्रतिमाओ को याद रखना
वे तो बस निकल आती है।
उतारा पन्ने पर तो सही,
नही तो फिर कभी और आने का इतजार
नही तो फिर कभी और आने का इतजार
वो आएंगी तो भी जरुरी नही वैसी ही हो
जो छूट गया थी कागज पर
जाने वो अब तक घूम कर आएगी
कुछ साथ लाएगी तो कुछ
बदली सी छोड़ भी आएगी कही कुछ।
जो छूट गया थी कागज पर
जाने वो अब तक घूम कर आएगी
कुछ साथ लाएगी तो कुछ
बदली सी छोड़ भी आएगी कही कुछ।
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